Wednesday, July 21, 2010

टीवी तब और अब....


उस साल asiad हुए थे और मैं कुल बरस की थी, शहर, क़स्बा, देश हर सरहद से बेखबर ..... तभी हिंदुस्तान में एक बदलाव आया था , मेरे मालिक--मकान जिनको हम दादाजी कहते थे उनके घर पर एक छोटा सा बक्सा आया था जिसके अन्दर घुस कर लोग बोलते-चालते, हँसते-गाते थे और वो सब कुछ करते थे जो मैं बाहर कि वास्तविक दुनिया के लोगों को करते देखती थी, मुझे बताया गया वो टीवी है। बड़ा अचम्भा हुआ था , ढेरों सवाल थे, जिज्ञासा थी जानने-समझने क़ी कि इसके अन्दर लोग घुसते कैसे हैं और इतने छोटे -बौने होने पर भी सामान्य क्यों दिखते हैं?बहुत रसूख की बात मानी जाती थी , उस घर का मोहल्ले में रुतबा ही अलग होता था क़ी जिसकी छत्त पर तीन डंडियों वाला एंटीना होता था .......मेरा बल-मन भी अपनी छत्त पर एंटीना देखने को लालायित रहता था पर पापा से कहने क़ी हिम्मत नहीं होती थी इसलिए दादाजी के घर पर जा कर "कृषि दर्शन" देख कर खुश हो जाते थे। हालांकि, तब बेहद बुरा लगता था क़ी जब दादाजी बिना बताये कहीं बाहर चले जाते .. उससे भी ज्यादा होता था अपमान का आभास जब दादाजी खाना खाने के समय चित्रहार से उठा कर हम बच्चों को घर भेज देते थे .....ये क्रम कुछ - महीने चला क़ी एक दिन हमारे घर पर भी टीवी गया , वो दिन आज भी मुझे भली-भाँती याद है, बहुत खुश थी मैं, हमारी छत्त पर भी एंटीना था, हमारे अपने टीवी का। और जब एसिअद शुरू हुआ तो जीत-हार समझ आये आये सिर्फ टीवी देखने के लिए घंटों मैंने तैराकी, बन्दूक-बाज़ी, तीरंदाजी , हर स्पर्धा देखि। कितना अजीब जूनून था.... इस साल फिर देश में commonwealth खेल होने जा रहे हैं, आज मैं एक साल के बच्चे क़ी माँ हूँ...टीवी के बिना ज़िन्दगी नीरस है , बाहर के खेल कूद की जगह कार्टून ने ले ली है, दादा-दादी क़ी कहानियों का तोड़ है tata sky क़ी एक्टिव सर्विस, पड़ोसियों के सुख-दुःख क़ी परवाह हो- सीरियल के heroine से जज़्बात ज्यादा जुड़े हुए हैं, आज टीवी हर घर में है क्योंकि वो babysitter का काम करता है। संकल्प लिया है फिर से अपना बचपन दुबारा जीने का ,खेल स्पर्धा बैठ कर देखने का और अपने परिवार को दिखाने का क्योंकि बचपन में टीवी ही हम सब को ,एक परिवार को एक साथ बांधता था कभी हमलोग दिखा कर कभी राम दर्शन करा कर ,इस बार टीवी को बच्चों को व्यस्त रखने का माध्यम बना कर उनकी खेलों में रूचि बढ़ने के लिए मैं टीवी का उपयोग करूंगी......और आप???