for myself!!!!!!!!!
Sunday, April 11, 2010
????????
आज फिर उम्मीद का हाथ थामकर, उदासी को काँधों पर लिए,
आँखों से नमी के परे झांकते, ज़िन्दगी कि सरहद ढूँढने निकले हैं,
क्या जानें इस राह कि मंजिल है कि नहीं......
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