आए तुम याद जो आज फिर , बस यूँ ही,
कल ही की तो बात है, पतंग बन ऊड़ा करते थे हम दोनों ,
कट गई डोर फिर क्यों अचानक, बस यूँ ही,
कच्चे धागे जो बाकी थे , वो भी तार-तार हुए ,
तुम उस पार-हम इस पार ,फिर अजनबी हुए,
शायद किसी मोढ़ पर फिर मुलाकात हो कभी,
दिल को छु गया ये ख्याल आज फिर अचानक ,बस यूँ ही!
Written on 13th august'99.......
3 comments:
Dil ko chu gayi kavita Nidhi....lagta hai Zindghi ka har rang dekha hai tumne..isliyee apni kavita main yeh sab rang bhar pati hu....keep writing.
:D........thanx pal
waah Nids...bahut badhiya.
loved the line "patang ban uda karte the"
I can almost visualize ur feelings.
keep it up gal.
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