रवीश-
ज़िन्दगी तुम्हारे साथ,
कभी नीम की निबौली थी तो कभी रसगुल्ले की चाशनी,
कहीं अल्हढ़ सी अटखेली थी तो कहीं सरहद की छावनी,
दो अजनबी- हमकदम, हमराज़, हमसाये बन साथ चले थे,
एक दूजे के रंग रंगे, नए सांचे में ढले थे,
प्यार, विश्वास, दोस्ती, इस सफर का आधार रहे,
मंजिल का तो पता नहीं पर मील के पत्थर कई पार हुए.......................
मुबारक हो शादी की दसवीं वर्षगाँठ......27 june.
2 comments:
Wah Nidhi kya baat hai...dasvi saalgirah bahut bahut mubarak ho aap dono ko :)
DHANYAWAAD RICHA......... aapki shubhkaamnayen pahuncha di jayengi.
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