सीमेंट की इमारतें और खचाखच भरी सड़कें हैं,
आसमान का नीलापन धूमिल-धुंधला सा है,
असमंजस की स्तिथि है,
इतने विशाल शहर की भीड़ में हर इंसान अकेला है,
जीवन का उद्देश्य केवल जीवन यापन है ,
नित्य कर्म की निवृति को समझ लिया खुशी का समागम है,
मिलना- जुलना, हँसना - खेलना केवल एक सतही आदत है,
झाँक केर देखो भीतर ह्रदय में तो असीम - निराकार खोखलापन है,
अन्तर-निरंतर मैं भी इस भीड़ का हिस्सा बन चुकी हूँ,
क्षितिज तो दूर अपने आसमान से भी कट चुकी हूँ,
होठों पर मुस्कराहट और आंखों में खुशी का भ्रम है,
अपने अंतर्मन में प्रतिदिन ये अभिनीत कर पाना बड़े जीवत का श्रम है,
क्यों हम इस चक्रव्यूह से बाहिर निकलने का रास्ता नहीं ढूंढते,
क्यों अपने ही असत्य की कैद से रिहाई नहीं चाहते,
क्या भय है , ऐसी क्या मजबूरी है,
पूछो स्वयं से, प्रश्न उठाओ,
इस मृगतृष्णा के रंगमंच पर क्या कठपुतली बन कर जीवन होम कर देना, इतना ज़रूरी है..........?
प्रयत्न करो, ये विश्वास जगाओ, अपने ही विचारों को ध्वनि देने से कभी न घबराओ,
जीवन पूर्ण करने हेतु जनम नहीं लिया इस पृथ्वी पे,
अपनी सोच को आकार देना अत्यन्त ज़रूरी है,
जीवन अमूल्य है, इसे मिथ्या के चंगुल से खींच निकालो,
nirbhay , निडर, निश्छल हो कर स्वयं को झिंझोड़ डालो,
निर्भय, निडर, निश्छल हो कर इंसानियत से हाथ मिला लो ,
जीते तो सभी हैं,
तुम अपने जीवन को एक मिसाल बना लो, तुम अपने जीवन को एक मिसाल बना लो!!
***"सुमन "को कोटि-कोटि धन्यवाद, इस विडियो को सम्भव करने के लिए!!