लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिष करने वालों की हार नहीं होती,
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चढ़ती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिष करने वालों की हार नहीं होती,
डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगाते हैं,
जा जा कर खाली हाथ लौट कर आते हैं,
मिलते नहीं मोती सहज ही गहरे पानी में,
बढ़ता दुगुना उत्साह ही हैरानी में,
मुट्ठी खाली उसकी हर बार नहीं होती,
कोशिष करने वालों की हार नहीं होती,
असफलता एक चुनौती है,
इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई ,
देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो,
नींद-चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोढ़कर न भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
कोशिष करने वालों की हार नहीं होती............................!!!
"हरिवंश राइ बच्चन "
1 comment:
It is one of the poems I grew up listening from my father. He was a fighter and looks like you are too.
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