नज़्म उलझी हुई है सीने मेंमिसरे अटके हुए है होठो परउड़ते फिरते हैं तितलियों की तरहलफ्ज़ कागज़ पे बैठते ही नहीकब से बैठा हू मैं जानमसादे कागज़ पे लिखके नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मल हैइससे बहतर भी नज़्म क्या होगी.................................
nazm is my most most fav one and a very very special one too.Did u finally buy 'Pukhraaj' ?
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