कुछ उम्र का तकाज़ा है, कुछ वक़्त कि मार,
दुनिया के थपेड़े बहाए लिए जा रहे हैं मुझे "उसके" पास....
रस्मों कि जंजीरें मंज़ूर नहीं, फिर भी दिल कहता है "तू" मुझसे दूर नहीं..
शिव कि पिंडी पे धुप जलाऊँ या मक्के कि तरफ सर झुकाओं...
क्यों बनने दूं इस कश्मकश को अपने पांव कि बेडी,
तू रहेगा पिता मेरा और मैं बेटी तेरी,
दोनों हाथ उठा कर , करती हूँ आत्मा-समर्पण..
था क्या दुनिया में मेरा,
तेरा तुझको अर्पण!!
2 comments:
NIce yaar....
Its a prayer to lord right??
Beautiful and spiritual! you are one person who can listen to her inner voice.
Post a Comment