निधि........कोई उत्साह नहीं, कोई उमंग नहीं, मेरी इन्द्रधनुष में आज कोई रंग नहीं.........
पल्लवी............दर्द है, नासूर है , कोई कज़ा है,
कौन जाने है की मेरे जी में क्या है,
तुम तो खुशफहमी में हमदर्दी जताओ!
निधि...........खुशफहमी में तो ज़िन्दगी बेजार कर ली हमने,
कोई आए-हमें समझे,इस इंतज़ार में ज़िन्दगी निसार कर दी हमने,
ये इंतज़ार शायद कभी ख़तम नहीं होगा,उम्मीद से दोस्ती फिर भी बरकरार राखी हमने !!
पल्लवी............शायरा हो तुम,
एक उम्र से स्याह करती हो सिर्फ़ कागज़ तमाम,
जो होती सौदागर तो किताबें छापतीं !!
मज़ा आ गया पल्लवी, लफ्जों के इस लें - देन में..............
4 comments:
:)
mujhe kyo na shaamil kiya apne iss dard bhare mushayre mein ?!
teri kumi to humein bhi bahut khal rahi thi nimi.........tujhse hi to triveni banti hai vichaaron ki.
Na hokar bhi tum thi na...ek mala ka dhaga na bhi deekhee hota toh hai woh wahan motiyoon ko bandhta hua :-)
waah Pal kitni pyari baat kahi hai....
tum dono kudiyon ne dil khush kar diya mera.
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