दोस्ती मैं हर एक लम्हा विसाल होगा यह तय हुआ था
बिछढ़ के भी एक दूसरे का ख्याल होगा यह तय हुआ था
चलो की फैजान कश्तियों को जला दें गुमनाम साहिलों पर
की अब यहाँ से न वापसी का सवाल होगा यह तय हुआ था
यह क्या की सांसें उखड गई हैं सफर के आगाज़ ही में यारों
कोई भी थक कर न रास्ते में निढाल होगा यह तय हुआ था ........................
उल्फत के वादे भूल गए
बिछड़ने का तकाजा याद रहा
चलो मुहब्बत की दोनों रस्में निभा दी तुमने.....
1 comment:
tu woh waqt hai
jo maine jiya hai
jisne mujhe rulaya bhi
hasaya bhi
mujhe mujh se milaya bhi
magar waqt ki adat hai beet jana
tu waqt tha.
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