Monday, December 7, 2009

SILENT TEARS...

SILENT TEARS
by Heather Loughton
A thunderous silence
breaks through my thoughts.
What was once many great ideas
is now a triumph, lost.

Baffling words tumble through my mind.
Reflections of darkness hover.
A disturbing peacefulness beckons to me,
and inside myself, I take cover.

What would it be like to stay there forever?
To be lost in all my cares?
From the inside, looking out -
I cry silent tears

शीशे से बनी एक लड़की!!

(शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई) - २
वोह ढून्ढ रही थी मोटी
और पत्थर से टकराई
शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई
(शीशे से बनी यह लड़की
इस बात से है अनजानी) - २
जब रेत चमकती है तो
लगती है दूर से पानी
यह फूल है सब कागज़ के
लेकिन वोह समझ न पायी
शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई
वोह ढून्ढ रही थी मोटी
और पत्थर से टकराई
(शीशे से बनी लड़की से
कह दो के न बाद में रोना) - २
कुछ लोग हैं जो पीतल के
कहते है वोह ख़ुद को सोना
(यह झूट का पुल टूटेगा
और गहरी है ग़म की खायी) - २
शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई
वोह ढून्ढ रही थी मोटी
और पत्थर से टकराई.....................


Why did i fail to understand these lyrics in life ?? Ignorance....,may be!!

Friday, December 4, 2009

बेवफा हसरतें!

हसरतों से हो जाती थी मुलाकात कभी-कभी ख़्वाबों में,
पर अब तो कमबख्त नींद भी नहीं आती इन आखों में.............