Monday, December 7, 2009

शीशे से बनी एक लड़की!!

(शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई) - २
वोह ढून्ढ रही थी मोटी
और पत्थर से टकराई
शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई
(शीशे से बनी यह लड़की
इस बात से है अनजानी) - २
जब रेत चमकती है तो
लगती है दूर से पानी
यह फूल है सब कागज़ के
लेकिन वोह समझ न पायी
शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई
वोह ढून्ढ रही थी मोटी
और पत्थर से टकराई
(शीशे से बनी लड़की से
कह दो के न बाद में रोना) - २
कुछ लोग हैं जो पीतल के
कहते है वोह ख़ुद को सोना
(यह झूट का पुल टूटेगा
और गहरी है ग़म की खायी) - २
शीशे से बनी एक लड़की
पत्थर के नगर में आई
वोह ढून्ढ रही थी मोटी
और पत्थर से टकराई.....................


Why did i fail to understand these lyrics in life ?? Ignorance....,may be!!

1 comment:

Pal said...

pathar toh log marenghee jaroor
Kyun na sheeshon se kaha woh toota na kare