Tuesday, March 24, 2009

ek khyaal, bas yun hi............

**नहीं ज़रूरत है ज़माने तेरी नश्तर सी चुभती बातों की ,
मेरे आंसुओं सैलाब ही काफ़ी है ,मुझे डुबोने के लिए ....................


***नाज़ था जिस शफाक दामन पर हमें उम्र भर,
बेदर्द ज़माने ने उसे ही हमारा कफ़न बना दिया...............

1 comment:

Pal said...

awesome@ kafan bana diya